सूफ़ी शब्द के सही अर्थ के बारे में बहुत मत हैं। कोई कहता है कि यह यूनानी सोफिस्ट से आया है। कुछ मानते हैं कि सूफी अरबी शब्द सफ़ा (पवित्र) से निकला है, कुछ इसे सूफ़ यानी ऊन की बढ़त मानते हैं, क्योंकि अधिकतर सन्त (जो बाद में सूफ़ी कहलाए) ऊन का चोगा पहनते थे। और कुछ का मानना है कि सूफ़ी शब्द अहलुस्सफ़्फ़ाह (बेंच पर बैठने वाले जन) से है; ये अहलुस्सफ़्फ़ाह मुहम्मद के बंधु थे, जो तपस्वी और विरक्त वृत्तियों वाले थे। अन्य कुछ मानते हैं कि सफ़े अव्वल (पहली पांत के लोग) से सूफ़ी उपजा है। और कुछ कहते हैं कि दर्शन/आध्यात्मिकता के पर्याय शब्द तसव्वुफ़ से सूफी आया है।
सूफी संतों ने हमेशा ख़ुदा को किसी ऊँचें शिखर पर न बैठाकर अपना यार या प्रेमी बताया है। उनका अपने वली या गुरु के लिए प्रेम (इश्क़-ए-मिजाज़ी) ही खुदा के प्रेम (इश्क़-ए-हक़ीक़ी) तक पहुँचने के लिए एक सीढ़ी की तरह सहायक रहा है। इसी मार्ग की एक झलक मिलती है उनकी रचनाओं व कथाओं में। जानिए सूफियों के मार्ग को आचार्य प्रशांत के साथ सूफी कथाओं पर आधारित बोधशाला में।
सूफ़ी शब्द के सही अर्थ के बारे में बहुत मत हैं। कोई कहता है कि यह यूनानी सोफिस्ट से आया है। कुछ मानते हैं कि सूफी अरबी शब्द सफ़ा (पवित्र) से निकला है,...