आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
लेख
तर्क निश्चित सिद्ध कर देंगे कि मेरे पास आना व्यर्थ है || (2015)
Author Acharya Prashant
आचार्य प्रशांत
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प्रश्नकर्ता: मैं जीवन में जो भी कर रहा हूँ उस के विरुद्ध जब तर्क आते हैं तो और उन तर्कों को काटने के लिए मेरे पास तर्क नहीं होते, तो ख़ुद पर संदेह होता है। जीवन में संदेह कैसे कम करें?

आचार्य प्रशांत: जितने भी आपको तर्क दिए जाते हैं उनमें से कोई भी तर्क ग़लत नहीं है, न आप उसे कभी ग़लत सिद्ध कर पाओगे। उन सारे तर्कों में बस एक अवैधता है, वो सारे तर्क ऐसे हैं जैसे कि कोई आपको तर्क से सिद्ध कर रहा हो कि आपने जो कमीज़ पहन रखी है उसका स्वाद मीठा नहीं कड़वा है क्योंकि वो लाल रंग की है। वह तर्क अवैध है, वह जिस तल पर है, वह तल अवैध है। जैसे रंगों का स्वाद नहीं होता, ठीक उसी तरीके से आप जिस तल पर हैं उस तल पर तर्क नहीं होते। आपका जो तल है वह वर्तमान बिंदु का तल है, उनके सारे तर्क भविष्योन्मुखी हैं। वह तर्क ग़लत नहीं हैं, अवैध हैं। आप यहाँ बैठे हो, क्या कोई तर्क है इस पल यहाँ बैठने के विरुद्ध? यहाँ बैठने के विरुद्ध कोई तर्क है? पर बहुत तर्क हो सकते हैं कि, "यहाँ बैठने से मिलेगा क्या?" ध्यान दीजिए यह तर्क भविष्य का तर्क है क्योंकि समस्त मिलना भविष्य में है। आप कभी सिद्ध नहीं कर पाओगे कि उनका तर्क ग़लत है क्योंकि आप कैसे दिखा पाओगे कि भविष्य में क्या मिलेगा? आप जानते भी नहीं न, वह जानते हैं तो सिद्ध करने की बात ही फ़िज़ूल है। दिक़्क़त बस एक है कि यह बात अवैध है, यह बात तर्क की है ही नहीं।

भूल आपने एक की, आपने उन तर्कों को सुना। सुनने से अगली भूल पैदा होती है, आप उन तर्कों को तर्कों से काटना चाहते हो। आप अवैध प्रश्न का वैध उत्तर खोजना चाहते हो। कहाँ से मिलेगा? आप तो इंजिनियर हो गणित पढ़े हो, अवैध प्रश्न का वैध उत्तर कहाँ से खोजोगे?

जो भी लोग आपको तर्क देते हैं उसमें देखिएगा कि कोई तर्क है जिसमें समय न हो, जिसमें संस्कार न हों? कोई तर्क है ऐसा? तो फिर उन तर्कों की कीमत क्या है? कोई तर्क ऐसा है जिसमें कारणों की बात न हो? संस्कार माने कारण, संस्कार माने अतीत और इससे मिलेगा क्या? यह जो तुम कर रहे हो उससे तुम पाओगे क्या? यही तर्क दिया जाता है न? याकि जो पाओगे उससे बहतर यह तरीका है पाने का। याकि जो कर रहे हो उससे कुछ पाओगे नहीं कुछ नुक्सान ही हो जाएगाl इसमें आप देख नहीं रहे कि सारी बातें भविष्यकाल में चल रही हैं। कुछ और मिल जाएगा, क्या पाओगे?

प्र२: और आज तक क्या मिला है?

आचार्य: और आज तक क्या मिला है? तो प्रश्न समय के तल पर हो रहे हैंl ‘होना’ समय के तल पर होता ही नहीं कभी। ‘होना’ वर्तमान है।

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