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लेख
शरीर की नहीं, मन की मृत्यु से डरते हो तुम || आचार्य प्रशांत (2013)
Author Acharya Prashant
आचार्य प्रशांत
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प्रश्नकर्ता१: सर, एक लड़की और एक लड़का, रीलेशनशिप में है और शादी हो गई दोनों की और फिर लड़की किसी और के साथ चली गई। लड़के ने सूसाइड कर लिया। तो लड़के को जो मिला वो सफ्रिंग (कष्ट) मिली या अच्छा ही हुआ?

आचार्य प्रशांत: लड़का माने कौन?

प्र१: द ग्रूम (जिससे शादी हुई थी)।

आचार्य: *द बॉडी डैट हैज़ डाइड* (शरीर जो मरा है)? उसको कुछ नहीं मिला। बॉडी ख़त्म हो गयी।

प्र२: और सोल ?

आचार्य: सोल -वोल छोड़ो न! एक बॉडी थी। वो एक तरीके से फंक्शन करती थी। वो फंक्शन नहीं करती है। इसमें मिलने या न मिलने का क्या सवाल है?

प्र१: अच्छा हुआ या बुरा हुआ?

आचार्य: एक लैपटॉप टूट गया। उस लैपटॉप के लिए अच्छा हुआ या बुरा हुआ?

प्र१: जिसका था उसके लिए बुरा हुआ।

आचार्य: उस लड़की के लिए बुरा हुआ, ये मर गया सुसर।

प्र१: सर, वो तो किसी और ससुरे के साथ भाग गई।

आचार्य: अरे, वो किसी और के साथ भागी पर फिर भी ज़िन्दगी-भर उसका इस्तेमाल ही तो करने वाली थी। लैपटॉप टूट गया, इसमें लैपटॉप के लिए न अच्छा है, न बुरा है। जिसका उससे स्वार्थ सिद्ध होता था, उनके लिए अच्छा या बुरा है। उनको मैटर करता (मायने रखता) है।

श्रोता: डेथ फॉर द डेड इज़ नॉट एन अनफारचुनेट ईवेंट (मरे हुए की मृत्यु एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना नहीं है)।

आचार्य: इट इज़ नॉट एनी ईवेन्ट एट ऑल, इट्स जस्ट अ फुलस्टोप। इट्स अ सेसेशन ऑफ ऑल इवेंट्स, इट्स ए स्टॉपेज ऑफ टाइम, नो मोर इवेंट्स (ये किसी भी प्रकार से एक घटना नहीं है, ये सिर्फ़ एक पूर्णविराम है। ये सभी घटनाओं का अपगमन है। ये समय का एक ठहराव है—अब कोई घटना नहीं)।

तो किसी ऐसे व्यक्ति की मृत्यु से कोई प्रॉब्लम (समस्या) नहीं होगी, जिससे तुम्हारा स्वार्थ न जुड़ा हो। सबसे ज़्यादा स्वार्थ अपनेआप से जुड़ा होता है, इसलिए शायद आदमी को मृत्यु से प्रॉब्लम होती है।

तो अच्छा, एक थॉट एक्सपेरिमेंट करिए। समझिएगा ध्यान से। अगर आपको ऑप्शन दिया जाए कि आप रहो, पूरे तरीक़े से रहो। सबकुछ, पूरी जो आपकी चेतना है, कॉन्शसनेस विथ ऑल इट्स मेमोरीज, थॉट्स, एवरीथिंग (चेतन अपने स्मृतियों, विचारों, सबकुछ के साथ), ये पूरी रहे बस बॉडी न रहे। और जो बॉडी से जो लिमिटेशन्स आ रही हैं वो भी न रहें कि यहाँ बैठे हो: चेतना है, वो जहाँ जाती है; वहाँ बात कर सकती है, देख सकती है, सब हो रहा है। तो कोई प्रॉब्लम है क्या? और ख़ासतौर पर सोचो, अगर आप बीमार हैं और शरीर ठीक-ठाक नहीं है और उस समय पर आपको ये ऑप्शन दिया जाए कि तुम रहोगे, शरीर नहीं रहेगा। कोई प्रॉब्लम है?

प्र१: बोझा कम हो रहा है।

आचार्य: बोझा कम हो रहा है, बिलकुल, बिलकुल। आप हो, बॉडी नहीं है। *कूल! सो नोऊ टेल मी, आर यू रियली अटैच्ड टु द बॉडी ओर यू आर अटैच्ड टू द सेन्स ऑफ बीइंग, विच इज़ थ्ऑटस एण्ड एव्रीथिंग। बॉडी इज नॉट एट ऑल इम्पोर्टेन्ट। इन्फैक्ट सो मेनी पीपल विल विलिंगली गिव अप द बॉडी* (शरीर बिलकुल भी महत्वपूर्ण नहीं है। वास्तव में, बहुत सारे लोग जानबूझकर शरीर छोड़ देंगे), अगर उनको ये एश्योरेन्स दे दिया जाए कि बॉडी नहीं रहेगी पर तुम रहोगे।

प्र२: बचपन में भूत बनने का बड़ा मन करता था। अगर उसकी प्रजेन्स (उपस्थिति) भी रहेगी विदाउट बॉडी (बिना शरीर के), तो वो अपनेआप ही बोर हो जाएगा दो दिन में।

आचार्य: क्यों बोर हो जाएगा?

प्र२: क्योंकि कोई उसको रीअलाइज़ (महसूस) कराने वाला नहीं होगा।

आचार्य: सब कुछ रहेगा, सब कुछ रहेगा, बॉडी (शरीर) नहीं रहेगी। तुम घूमना चाहते हो, फिरना चाहते हो, खाना चाहते हो, पीना चाहते हो, स्वाद लेना, सब लो। एवरीथिंग इस पॉसिबल (सबकुछ संभव है)।

प्र: सब कहाँ जाएगा बॉडी नहीं है तो? हाइपोथेटिकल (काल्पनिक)?

आचार्य: अरे, यार! बॉडी बोलती है क्या कि कोई चीज़ खट्टी है? कौन बोलता है? कौन बोलता है? अलटिमेटली कौन बोलता है कि इसमें शक्कर ज़्यादा है? माइंड बोलता है न? तो माइंड अभी भी रियलाइज करेगा कि शक्कर है, बट विदाउट बॉडी (लेकिन बिना शरीर के)। नाउ डू यू हैव एनी प्रॉब्लम? यू आर केपेबल ऑफ ऑल द इक्स्पिरीएन्सेज़ बट विदाउट द बॉडी। नाउ डू यू हैव एनी प्रॉब्लम? नोबडी विल हैव एनी प्रॉब्लम (क्या अब आपको कोई समस्या है? आप सभी अनुभवों के योग्य हैं, लेकिन बिना शरीर के। क्या अब आपको कोई समस्या है? किसी को कोई समस्या नहीं होगी)

प्र३: बॉडी का महत्त्व सिर्फ़ और सिर्फ़ इनपुट से है।

आचार्य: हाँ, बॉडी का महत्व सिर्फ़ इसलिए है कि मन को चैन मिलता रहे।

प्र१: सर, कैन वी बी विजीबल ?

आचार्य: इफ यू वॉन्ट यू कैन बी, इट्स ऑलराइट। (यदि आप चाहते हैं तो आप हो सकते हैं, ये ठीक है।) दैट इज़ ग्रान्टेड—चलो दिया। इट इज़ नॉट एट ऑल स्पेसिफिक दैट वी वॉन्ट ए बॉडी। वी वॉन्ट द माइन्ड (ये बिलकुल ऐसा नहीं है कि हम एक शरीर चाहते हैं, हम मन चाहते हैं) इसीलिए डेथ भी बॉडी की मैटर नहीं करती है (मायने नहीं रखती)। इट इज़ ए डेथ ऑफ द माइन्ड दैट मैटर्स। वी मेक ए मिस्टेक वेन वी असोसिएट डेथ विथ बॉडी। यू विल नॉट माइंड दैट वी डॉन्ट हैव द बॉडी, इफ यू कैन स्टील बी अलाइव, विल यू ? (ये मन है जिसकी मृत्यु से फ़र्क़ पड़ता है। हम एक ग़लती कर देते हैं जब हम मृत्यु को शरीर से जोड़ देते हैं। यदि शरीर के बिना भी आप जीवित रह सकते तो ये आपके लिए मायने नहीं रखेगा कि हमारे पास शरीर नहीं है। मायने रखेगा?)

सोचिए न, शैलजा जल रही हो और आप घूम रहे हो अगल-बगल। खड़े हो बगल में और कह रहे हो, ‘लाओ, यार! फ्रूटी दो ज़रा’। ठीक है। शैलजा इज़ गॉन नाउ एण्ड लेट मी गो एंड इन्जॉय द मूवी (शैलजा की मृत्यु हो गई है अब और मुझे फ़िल्म का आनंद लेने जाने दो)! आप मूवी देख रहे हो। ठीक है। टिकट भी नहीं लगा। टिकट तो बॉडी का लगता था। कूल! क्या प्रॉब्लम है? बीवी या बेबी से बात कर रहे हो, वो आपसे बात कर रहा है। कोई प्रॉब्लम नहीं है न, लाइफ में! कोई बॉडीली प्रक्रिया नहीं करनी है─ कपड़ा नहीं पहनना फालतू का, नहाना नहीं है, खाने की चिंता नहीं है। ठीक है, कूल है। जो करना है करो, क्या प्रॉब्लम है? कोई है प्रॉब्लम ? थकान भी नहीं होगी।

प्र१: खाना भी नहीं खाना, सोना भी नहीं।

आचार्य: चाहो तो कर सकते हो। मन ही तो सोता है। मन की तो एक स्टेज है सोना, न! मन सो भी सकता है। ठीक है, सोने की इच्छा है, सो जाओ।

प्र३: ठीक है। तो फिर जेलेसी (नफ़रत) और ये सब।

आचार्य: वही तो आपको जीने का एहसास कराती है। अब ये बोल रहा था न टेंशन न हो तो जीने का पता नहीं चलता। आपकी जेलेसी हट जाए तो आपको ऐसा लगेगा कि हम मर गए। आपको क्या लगता है, आप जेलेस मजबूरी में होते हो? न, जेलेसी तो जीवन है। जेलेसी ही तो जीवन है। जेलेस जब आप होते हो, उस समय आपके जिंदा होने का एहसास परम होता है। बिलकुल चरम पर आप ये महसूस करते हो मैं हूँ।

प्र: वो एहसास बॉडी के लिए नहीं, वो तो मन का ही होता है न?

आचार्य: वो मन का ही होता है। इसीलिए शरीर के न रहने पर भी अगर जेलेसी बची रहे तो आप ख़ुश रहोगे। और जेलेसी निश्चित सी बात है, शरीर की तो होती नहीं, मन की ही होती है।

प्र३: एक बात है। जब भी अगर शरीर के, जैसे डिस्कस करते है तो शरीर ख़त्म होने से सब कुछ ख़त्म हो ही जा रहा है, तो ये जो जेलेसी (ईर्ष्या), ग्रीड (लालच), वो भी चला जाएगा फ़िर तो। शरीर, खाता — सबकुछ ख़त्म। तो ये जब, इस प्रोसेस (प्रक्रिया) के बीच ये तिलमिलाहट क्यों कि लर्निंग (सीख) होनी चाहिए, नोइंग (जानकारी) होनी चाहिए? *एवेनचुआली एव्रीथिंग इज गोइंग टू स्टॉप वेन दिस बॉडी इज गोज़ ऑफ*। (अंततः सब कुछ रुक जाना है जब शरीर मर जाता है तो।)

आचार्य: *येस-येस! इफ यू आर ड बॉडी। फॉर द बॉडी एव्रीथिंग विल कम टू एन एंड, देयर इज नो डाउट अबाउट इट। सी, ह्वेन यू आर जेलेस, लेट से यू आर जेलेस ऑफ अ वुमन, राइट? ह्वेन यू से यू आर जेलस ऑफ ए वुमन, अन्डर्स्टैन्ड दिस क्लियर्लि* (हाँ-हाँ! जब आप शरीर हैं। शरीर के लिए ख़त्म हो जाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं है। देखिए, जब आप ईर्ष्यालु हैं — मान लीजिए आप एक महिला के प्रति ईर्ष्यालु हैं — जब आप कहती हैं कि आप एक महिला के प्रति ईर्ष्यालु हैं, ठीक है? इसे अच्छे से समझिए), क्योंकि पिछले घंटे ही कुछ ऐसी सी ही बात हुई थी।

वेन यू आर जेलेस ऑफ दिस वुमन, ह्वट इज़ दिस वुमन? ए बॉडी। वॉट विल बी जेलेस ऑफ ए बॉडी ? (जब आप इस महिला के प्रति ईर्ष्यालु हैं, ये महिला क्या है? एक शरीर। एक शरीर की ईर्ष्या क्या होगी?)

श्रोतागण: *ए बॉडी*।

आचार्य: अ बाॅडी। सो व्हाट इज़ योर जेलसी? योर बॉडी इज़ द जेलेसी। ह्वट आर यू जेलेस ऑफ? द बॉडी, बिकॉज़ यू नो हिम ओनली ऐज़ ए बॉडी। हू विल बी जेलस ऑफ ए बॉडी? ए बॉडी। सो योर जेलसी इस द बॉडी। एण्ड हेन्स द बॉडी विल गन, द जेलेसी विल औलसो गन। (एक शरीर। इसलिए आपकी ईर्ष्या क्या है? आपकी ईर्ष्या — शरीर है। आप किस चीज़ के प्रति ईर्ष्यालु हैं? शरीर के प्रति, क्योंकि आप उन्हें सिर्फ़ एक शरीर के रूप में जानती हैं। शरीर के प्रति ईर्ष्यालु कौन होगा? एक शरीर। इसलिए आपकी ईर्ष्या एक शरीर है और एक बार जब शरीर नष्ट हो जाएगा ईर्ष्या भी नष्ट हो जाएगी)। आपका शरीर ईर्ष्यालु है, आप किस चीज़ के प्रति ईर्ष्यालु हैं?)

प्र३: पर क्या ये चीज़ें हमारी बॉडी में ही होती हैं? ये माइंड , हमारा तो मन होता है न!

आचार्य: मन और शरीर अलग-अलग थोड़े ही हैं।

प्र३: एनीवेज़ वेन द बॉडी गोज़ ऑफ, एव्रीथिंग गोज़ ऑफ। ह्वाइ दिस रेस्टलेसनेस टू नो ? (फिर भी जब शरीर जाता है तो सब कुछ चला जाता है जानने के लिए ये बेचैनी क्यों?)

आचार्य: बिकॉज़ दैट एवरीथिंग—इट्स अ ब्यूटीफुल थिंग दैट यू आर नाउ गेटिंग इनटू—दैट एवरीथिंग दैट गोज़ ऑफ इज़ द एवरीथिंग दैट यू कॉल 'एवरीथिंग'। व्हाट इस दैट यू कॉल एवरीथिंग, इलैबोरेट। (क्योंकि वो सबकुछ — ये अच्छी बात है कि आप इस ओर जा रही हैं — वो सबकुछ जो चला जाता है वो 'सबकुछ' इसलिए है क्योंकि आप उससे 'सबकुछ' कहती हैं। वो क्या है, जिसे आप 'सबकुछ' कहती हैं? बताइए।

प्र३: ये फिजिकल बॉडी (भौतिक शरीर)।

आचार्य: *फिजिकल बॉडी एण्ड द कॉरस्पाॅन्डिंग वर्ल्ड ह्विच इज़ अगेन ए कन्ग्लमरेशन ऑफ बॉडीज़*। (भौतिक शरीर और ये संसार, जो कि पुनः शरीर का एक समूह है)

ह्वाट इज़ यू कॉल 'एवरीथिंग'? ह्वाट वुड यू कॉल एवरीथिंग? ह्वेन यू से 'एवरीथिंग', व्हाट डू यू मीन ? (वो क्या है जिसे आप 'सबकुछ' कहती हैं? आप किसे 'सबकुछ' कहेंगी? जब आप कहती हैं — 'सबकुछ' तो आपका क्या मतलब है?)

प्र३: इसकी वजह से जो कुछ अभी है।

आचार्य: *ऑल ऑब्जेक्टस, ऑल ऑब्जेक्ट्स। ऑफकोर्स दीज़ विल गो अवे। बट इस दैट ऑल? यू डोंट नो, दैट इज़ द प्रॅब्लम*। (सभी पदार्थ, सभी पदार्थ। बिलकुल, ये सब नष्ट हो जाएँगे। लेकिन क्या यही सबकुछ है? आप नहीं जानतीं, ठीक है।)

प्र२: 'आई' विल रीमेन ('मैं' रह जाएगा)।

आचार्य: *दैट वाॅज़ मच मोर ऑनेस्ट। ऑब्वियस्ली ऑल दीज़ दैट यू कॉल एज़ एवरीथिंग, दिस विल श्योरली गो अवे एंड लेट्स नॉट बी इन एनी डाउट अबाउट इट ऑर एनी होप अबाउट दिस। लेट्स नॉट ईवेन होप दैट इवन आफ्टर आइ डिसअपियर, समथिंग ऑफ दिस विल रिमेन। ऑब्वियस्ली ऑल दिस विल गो अवे*। (ये बहुत ईमानदारी है। निश्चित रूप से वो सारी चीज़ें जिसे आप 'सबकुछ' कहती हैं वो नष्ट हो जाएँगी। इस बात में कोई संदेह या कोई आशा मत रहने दीजिए। आशा भी मत करिए कि 'मैं' के नष्ट होने के बाद भी इसका कुछ रह जाएगा।

*आईं एम आस्किंग यू इज़ दिस ऑल*…

प्र३: समथिंग विल रीमेन, 'आई' विल रीमेन (कुछ तो रह जाएगा, 'मैं' रह जाएगा)।

आचार्य: *नो, नथिंग। नो, नथिंग दैट यू नो एज़ 'आई' विल रीमेन, प्लीज़*। (नहीं, कुछ भी नहीं। नहीं, कुछ भी जिसे आप 'मैं' जानती हैं, नहीं रहेगा)।

प्र३: एनीथिंग (कुछ भी)।

आचार्य: *एनीथिंग दैट यू नो एज़ 'एनीथिंग' विल नॉट रिमेन। आई एम सेइंग वॉट विल रिमेन यू हैव नो आइडिया ऑफ। इट इस बियॉन्ड आइडिएशन*। (कुछ भी जिसे आप 'कुछ' जानती हैं वो नहीं रहेगा। मैं कह रहा हूँ कि जो कुछ रहेगा उसके बारे में आप कुछ नहीं जानतीं।)

प्र३: इफ नथिंग रीमेंस (जब कुछ नहीं शेष रहता)...

आचार्य: आई एम नॉट सेइंग — नथिंग रीमेंस। आई एम सेइंग व्हाट विल रीमेन यू हैव नथिंग आइडिया ऑफ। इट इज़ बियॉन्ड आईडिएशन। (मैं नहीं कह रहा कि कुछ शेष नहीं रहता। मैं कह रहा हूँ कि जो रहता है उसके बारे में आपको कुछ पता नहीं है। ये विचारों से परे है।)

प्र३: पर जितना मुझे पता है उसका कुछ है ये।

आचार्य: हाँ, एग्ज़ैक्ट्ली (बिलकुल)।

प्र३: डज़ इट ईवेन मैटर दैट इन दिस जर्नी, आइ नो ऑर लर्न? (क्या इस यात्रा में मैं जो जानती हूँ या सीखती हूँ वो मायने रखता है?)

आचार्य: ऑब्वियसली इट मैटर्स; इफ देयर इज़ अ लॉट, इफ देयर इज़ द इमैन्स, द ऐबसल्यूट ट्रुथ, अनथिंकेबल, इम्मेज़रेबल, एंड आई नो जस्ट दिस मच एंड आई एम फूलिङ्ग माइसेल्फ विद द कॉन्सेप्ट दैट ह्वेन दिस गोज़ अवे—ऑल गोज़ अवे, आई एम यूज़लेसली सब्जएक्टिंग माइसेल्फ टू सफरिंग। नथिंग विल गो अवे, दिस इज़ ऑफकोर्स, दिस इज़ माई वर्ल्ड, दिस इज़ माई वर्ल्ड, दिस इज़ माई वर्ल्ड। दिस इज़ माई बॉडी, दिस इज़ माइ सन्स बॉडी, दिस इज़ माई हाउस, दिस इज़ द यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, दिस इज़ मार्स, दिस इज़ मिल्की-वे, दीज़ आर माई थॉट्स, दीज़ हिंदुइज़्म, दीज़ आर वैरियस फिलॉसफीज़, दिस इज़ फूड, दिस इज़ ग्रीड, दिस इज़ सम्थिंग, दिस इज़ सम्थिंग, दिस इज़ सम्थिंग, दिस इज़ सेक्स, दिस इज़ दिस, दिस इज़ द न्यू हाउस, दिस इज़ दैट कार, दिस इज़ माइ गुरु, दिस इज़ दैट ब्यूटीफुल रिवर; दिस इज़ ह्वाॅट? ह्वाॅट इज़ दिस?

(निश्चित रूप से ये मायने रखता है यदि कुछ बहुत है, यदि कुछ विशाल है, परम सत्य है, असीम है, कल्पनातीत है तो। और मैं सिर्फ़ इतना जानता हूँ और मैं स्वयं को मूर्ख बना रहा हूँ इस विचार से कि ये चला जाएगा—सबकुछ चला जाएगा, मैं व्यर्थ ही स्वयं को पीड़ा का विषय बना रहा हूँ। कुछ नहीं जाएगा। निश्चितरूप से ये मेरा संसार है, ये मेरा संसार है, ये मेरा संसार है, ये मेरा संसार है, ये मेरा शरीर है, ये मेरे बेटे का शरीर है, ये मेरा घर है, ये संयुक्त राज्य अमेरिका है, ये मंगल ग्रह है, ये आकाशगंगा है, ये सब मेरे विचार हैं, ये हिंदूवाद है, ये सब विभिन्न दर्शन हैं, ये भोजन है, ये लालच है, ये कुछ है, ये कुछ है, ये कुछ है, ये संभोग है, ये ये है, ये नया घर है, ये वो कार है, ये मेरे गुरु हैं, ये वो ख़ूबसूरत नदी है ये सारी चीज़ें। ये क्या है? क्या है ये सब?

श्रोतागण: माय वर्ल्ड (मेरा संसार)।

आचार्य: ऑफकोर्स दिस इज़ योर वर्ल्ड बट ह्वाट इज़ ऑल? ह्वाट इज़ ऑल? (निश्चित रूप से ये आपका संसार है लेकिन 'सबकुछ' क्या है? 'सबकुछ' क्या है?)

प्र३: इन ह्विच वी रिसाइड (जिसमें हम रहते हैं)।

आचार्य: इट इज़ नॉट वी रिसाइड इन दैट। ह्वाट इज़ ऑल? (ये वो नहीं है जिसमें हम रहते हैं। सबकुछ क्या है?)

प्र३: अगर ऑल है भी, आई डू नॉट हैव द कैपेबिलिटी, कपैसिटी ऑर द नेसिसेरी सेंसेस ऑर व्हाटएवर टू नो इट (मेरे पास योग्यता, क्षमता या आवश्यक समझ, या जो कुछ भी हो वो नहीं है इसे जानने के लिए)।

आचार्य: हाउ डू यू नो दैट? वेन यू नो ओनली दिस मच, हाउ आर यू श्योर दैट यू डोंट हैव द कपैसिटी? मे बी योर कपैसिटी लाइज बियॉन्ड दिस। ऑल यू नो ऑफ इज़ दिस, राइट? दिस इज़ योर वर्ल्ड। मे बी योर कपैसिटी लाइज़ हियर, हाउ डू यू नो?

(आपको वो कैसे पता? आप जब सिर्फ़ इतना ही जानती हैं तो आप कैसे निश्चित हैं कि आपके पास क्षमता नहीं है। हो सकता है आपकी क्षमता इससे परे हो। आप जो भी जानती हैं वह यही है, ठीक है? ये आपका संसार है। हो सकता है आपकी क्षमता यहाँ है, आप कैसे जानती हैं?)

प्र: आई डोंट नो। सो इफ आई वुड नॉट नो (मैं नहीं जानती। तो यदि मैं नहीं जानती तो।

आचार्य: "व्हाट इज़ दिस, दैट हू डज़ नॉट नो? व्हाट इस दिस आई दैट डज़ नॉट नो? दिस आई इज़ दिस, ए प्रॉडक्ट ऑफ दिस। दिस आई इज़ दिस, एंड ऑब्वियस्ली इट विल नेवर नो। (ये क्या है वह जो नहीं जानता? ये क्या है? यह 'मैं' ये है। यह 'मैं' ये है, इसका एक उत्पाद है। यह 'मैं' ये है और निश्चित रूप से यह कभी नहीं जानेगा।)

प्र: लेट इट डाई? (इसे मरने दें?)

आचार्य: नो, दिस विल फिनिश ऑफ ऑब्वियस्ली एंड दैट इज़ व्हाय देयर इज़ सो मच फीयर एण्ड अननेसेसरी ट्रेम्बलिंग। (नहीं, यह निश्चित रूप से नष्ट हो जाएगा, और यही कारण है कि इतना डर और अनावश्यक भय है।)

प्र: कुछ और मौत से, जैसे जो कि पता ही है कि भाई, अभी इतना ही है, अब तो फिनिश होना है।

आचार्य: *दिस इज़ योर वे एण्ड डॉन्ट किड यॉर्सेल्फ बाई थिंकिंग दैट समथिंग विल रीमैन। दिस इज़ योर वर्ल्ड, इट विल ऑब्वियस्ली फिनिश। एंड बी वेरी-वेरी क्लियर दैट एवरीथिंग इज़ जस्ट वेटिंग टु बी फिनिश्ड। इट्स ए टाइम बॉम्ब, वेटिंग टू एक्सप्लोड। बट दिस इज़ नॉट ऑल*। (यह आपका तरीक़ा है, और ख़ुद को बहलाओ नहीं, यह सोचकर कि कुछ तो बचा रहेगा। यह आपका संसार है। यह निश्चित रूप से नष्ट होगा, और बहुत-बहुत स्पष्ट रहो कि प्रत्येक चीज़ बस नष्ट होने का इंतज़ार कर रही है। यह एक टाइम बम है जो विस्फोट होने का इंतज़ार कर रहा है। लेकिन यह 'सबकुछ' नहीं है।)

प्र: *बट, जेलेसी, कॉम्पिटिटिवनेस, लव ह्वाट-एवर दैट ट्रबल्स मी (लेकिन फिर से प्रतिस्पर्धा प्रेम जो कुछ भी मुझे परेशान करता है)। और मैं अभी फाइट कर रही हूँ कि अपने मन से ये हटाऊँ, ब्ला-ब्ला ; और मेरा क्वेश्चन भी वैसे ही है। एवरीथिंग इस गोइंग टु फिनिश ऑफ।* (सब चीज़ें नष्ट होने वाली हैं)

आचार्य: ऑल दिस इज़ बीइंग सेड टू दैट 'आई' दैट इज़ लिविंग हियर। आई ऐम नॉट टॉकिंग टु ऑल। आई ऐम नॉट टॉकिंग टु दैट, टू दैट कंप्लीट, द इमेन्स। आर यू टॉकिंग टु हिम? आर यू टॉकिंग टु दैट टोटल? डज द टोटल सफर? डज द कंप्लीट सफर? हू सफर्स? दिस। आई एम टाॅकिंग टू दिस, दिस दैट इज़ सफरिंग। इन ह्वाट वे इज़ इट सफरिंग? बिकॉज़ इट थिंक्स दैट दिस इज़ ऑल। दिस इज़ एरोगैंस। (यह सारी बातें उस 'मैं' को कही जा रही हैं जो यहाँ है। मैं 'सबकुछ' की बात नहीं कर रहा। मैं उसकी, उस पूर्ण की, उस विशाल की बात नहीं कर रहा। क्या तुम उसकी बात कर रहे हो? क्या तुम उस पूर्ण की बात कर रहे हो? क्या पूर्ण दुख झेलता है? क्या संपूर्ण दुख झेलता है? कौन दुख झेलता है? 'यह'। मैं 'यह' की बात कर रहा हूँ। 'यह' जो दुख झेलता है। यह क्यों दुख झेलता है? क्योंकि यह सोचता है कि यही 'सबकुछ' है। यह 'अहंकार' है।)

इट थिंक्स, दिस आई थिंक्स दैट दिस इज़ ऑल। इज़ दिस ऑल? इज दिस ऑल? इट्स ए मैटर ऑफ डीप-डीप एरोगैंस टु बिलीव दैट दिस इज़ ऑल। ऑब्वियस्ली एज् फाॅर एज् दिस आई गोज, इट कैननॉट नो वॉट इज़ हियर एंड हियर। इट कैननॉट नो। दैट इज़ फेथ─ टू नॉट टु नो एंड येट टू नो। विदाउट दैट यू विल ऑलवेज़ कीप ट्रेमब्लिंग इन फीयर। (यह सोचता है, यह 'मैं' सोचता है कि यह 'सबकुछ' है। क्या यह 'सबकुछ' है? क्या यह सबकुछ है? यह मानना कि यह 'सबकुछ' है — एक बहुत गहरे अहंकार का मुद्दा है। निश्चित रूप से जैसे ही 'मैं' नष्ट होता है यह नहीं जान सकता कि यहाँ और यहाँ क्या है। यह नहीं जान सकता। वह श्रद्धा है — नहीं जानने की और फिर भी जानने की। उसके बिना आप हमेशा डर में काँपते रहोगे।)

*वेयर देअर इज फीयर, देयर इज फेथलेसनेस। ओनली फेथलेसनेस ब्रीड्स फीयर। यू से, वॉट इज़ फियर? अलटिमेटली फीयर इज़ द थॉट ऑफ इक्स्टिंक्शन। समथिंग विल बी एन्निहिलेटेड, आई विल बी गॉन। आई विल बी नो मोर। पार्ट ऑफ मी सम आइडेंटिटी और द बॉडी और समथिंग विल गो, दैट इस फियर*। (जहाँ डर है वहाँ श्रद्धा-हीनता है। सिर्फ़ श्रद्धा-हीनता पर डर पलता है। आप कहते हैं, 'भय क्या है?' अंततः भय विलुप्त होने का विचार है। कुछ नष्ट हो जाएगा, मैं समाप्त हो जाऊँगा, मैं नहीं बचूँगा; मेरे हिस्से, कुछ पहचान, या शरीर या कुछ चला जाएगा — यह डर है।)

*फेथ टेल्स यू वॉट कैन गो अवे, एवरीथिंग इज हियर, नथिंग विल गो अवे। सो फेथ इज़ द ओनली पेनेसिया टू फियर। बट फॉर दैट, यू हैव टु फर्स्ट स्टॉप बिलीविंग दैट दिस इज़ परमानेंट। यू नीड टु स्क्वायर्ली कन्फर्म द फैक्ट दैट दिस इज़ वेरीवेरी इम्परमानेंट, दैट दिस विल डिसअपिअर। इट एक्जिस्ट इन टाइम, दिस इज़ टाइम एंड इट विल पास अवै, सूनर ओर लेटर। एंड दिस एग्ज़िस्टेन्स दैट यू कॉल ऐज मी एंड माई वर्ल्ड, इज जस्ट ए बीलीव इन द इग्ज़िस्टेन्स। वन बीलीव एण्ड यू आर गॉन। दिस विल गो अवै, दैट हैज़ टू बी कॅन्फ्रॅन्टेड*। (श्रद्धा आपको बताती है क्या जा सकता है। सबकुछ यही है, कुछ नहीं जाएगा। इसलिए श्रद्धा डर का एकमात्र रामबाण है। लेकिन उसके लिए आपको पहले यह मनना बंद करना होगा कि यह स्थायी है। आपको दोहरे तरीक़े से इस तथ्य की पुष्टि करनी होगी कि यह बहुत-बहुत अस्थायी है, कि यह समाप्त हो जाएगा। यह समय में अस्तित्व रखता है, यह समय है और यह बीत जाएगा, जल्दी या देर से। और यह अस्तित्व जिसे आप 'मैं' और मेरा संसार कहते हैं। वह सिर्फ़ एक विश्वास है अस्तित्व में। एक विश्वास और आप गये! 'यह चला जाएगा' — इसका सामना करना है।)

प्र: इज इट पॉसिबल फॉर द माइन्ड टू डाई बीफोर द फिजिकल ? (क्या मन के लिए यह संभव है कि ये शरीर से पहले मर जाए?)

आचार्य: व्हाटज़ द माइंड? द माइन्ड इज़ ए बिलीफ दैट दिस इज़ ऑल। गेट रिड ऑफ दैट बिलीफ, दैट इज़ इट। सो मेनी सेन्ट्स हैव टौक्ड ऑफ दिस दैट बीफॉर दैट डेथ हैपन्स लेट अन्अदर डेथ हैपन। (मन क्या है? मन एक विश्वास है कि यह सबकुछ है। इस विश्वास से मुक्त हो जाइए — 'यही सबकुछ है'। बहुत सारे संतो ने इसके बारे में कहा है कि इससे पहले कि वह मृत्यु हो दूसरी मृत्यु हो जाने दो।) — "मैं कबीरा ऐसा मरा, दूजा जन्म न होए।"

मरण मरण सब करे, मरण न जाने कोय, मैं कबीरा ऐसा मरा, दूजा जनम न होय।

"मरो रे जोगी मरो, मरो मरन है प्यारा।" तो ये जो बात कहते थे —

मरो रे जोगी मरो मरण है मीठा। ऐसी मरनी मरो जो मरनी गोरख मरजीठा।

ऐसी मरनी मरो जो मर के गोरख ज़िंदा हो गया। बिना उसके मरे तुम जिंदा ही नहीं होते।

प्र: सर, दे आर टॉकिंग अबाउट द मेंटल डेथ ? (सर, वह मानसिक मृत्यु के बाद कर रहे हैं?)

आचार्य: ऑफ कोर्स। दे आर सेइंग दैट स्टॉप बिलीविंग दैट दिस इज़ ऑल, बिकॉज़ दिस इज दैट माइंड। स्टॉप बिलिविंग दैट दिस इज़ ऑल। (बिलकुल। वे कह रहे हैं कि यह मानना बंद करो कि यह सबकुछ है क्योंकि यह वह मन है। यह मानना बंद करो कि यह सबकुछ है।) यही तो डेथ है माइंड की। और थोड़ी कोई बहुत बड़ी डेथ थोड़े ही होती है। अरे, ये माइंड मर गया, माइंड मर गया। कहीं कोई शव-यात्रा थोड़े ही निकलेगी माइंड की!

प्र: माइंड मर जाएगा ऐसे भी, तो बिलीव करने में क्या है?

आचार्य: उसका माइंड मर जाएगा, माइंड नहीं मर जाएगा, प्लीज़। उसका माइंड मर जाएगा, माइंड नहीं मर जाएगा। आपको किसने कह दिया माइंड आपका है? ह्वाट डू यू थिंक, आपका कॉपीराइट है जेलेसी पर? आपका माइंड क्या है? जेलेसी प्लस फीयर प्लस इन्सेक्युरिटी प्लस होप प्लस ऐम्बिशन (एशिया और डर और असुरक्षा और उम्मीद और महत्वाकांक्षाएँ, इसमें से आपका क्या है?

प्र: मेमोरीज (स्मृतियाँ)।

आचार्य: आपका क्या है? जेलेसी, होप, ऐम्बिशन, इन्सेक्युरिटी, अटैचमेंट , इसमें आपका क्या है? जो आपका होगा याद रखिएगा, वो किसी और का नहीं हो सकता। इसमें से आपका कुछ ऐसा है जो इनके पास न हो? आपके पास अटैचमेंट (मोह) है? आपके पास जेलेसी (ईर्ष्या) है? आपके पास होप (उम्मीद) है? आपके पास है? आपके पास है? आपके पास है? मेरे पास भी है।

तो आप कैसे बोल रहे हो कि मेरा माइंड मर गया? *वेन माइंड इज़ ईक्वल टू जे प्लस ए प्लस आइ, एंड जे प्लस ए प्लस आई इज कॉमन टु एवरीबाॅडी, हाउ डेयर यू से दैट इट इज़ माई माइंड। हाउ इस इट योर माइन्ड? इट्स ए यूनिवर्सल माइन्ड। स्पेसिफिक्स आर योर्स एंड द स्पेसिफिक्स विल डाई। फॉर इग्ज़ाम्पल, आई एम जेलेस ऑफ समबडी। लेट्स से, गिव मी ए नेम, प्रिया। नाउ दैट्स स्पेसिफिक। नाउ जेलेसी टूवर्ड्स प्रिया विल डाइ, बट जेलेसी कैननॉट डाई। द डे योर बॉडी डाइज, द स्पेसिफिक जेलेसी टूवर्डस प्रिया विल डाई। ओनली दैट, नथिंग मोर दैन दैट*। (जब मन बराबर ईर्ष्या और महत्वाकांक्षा और अहम्; और ईर्ष्या, महत्वाकांक्षा और अहम् सभी मनुष्यों में समान रूप से है तो आप यह कैसे कर सकते हैं कि यह मेरा मन है यह आपका मन कैसे हैं यह विश्व व्यापी मन है जो विशिष्ट है वह आपका है और जो विशिष्ट है वह नष्ट होगा। उदाहरण के लिए, मैं किसी के प्रति इर्ष्यालु हूँ; मान लीजिए, मुझे एक नाम बताइए, प्रिया; अब यह विशिष्ट है। अब प्रिया के प्रति ईर्ष्या मर जाएगी। लेकिन ईर्ष्या नहीं मर सकती। जिस दिन आपका शरीर मरेगा उस दिन प्रिया के प्रति आपकी विशिष्ट ईर्ष्या भी मर जाएगी। सिर्फ़ वही, उससे ज़्यादा कुछ नहीं।)

प्र: हाउ डज़ इट मैटर इफ जेलेसी सरवाईवड ? (यह कैसे मायने रखता यदि ईर्ष्या बची रह जाए तो?

आचार्य: इट डज नॉट मैटर। बट टू हूम इट डज नॉट मैटर? इट डज नॉट मैटर टू द टोटल। बट इट मैटर्स ग्रेटली टु दिस हू इज़ टॉकिंग। (यह मायने नहीं रखता। लेकिन यह किसके लिए मायने नहीं रखता? यह संपूर्ण के लिए मायने नहीं रखता लेकिन यह इसके लिए बहुत मायने रखता है जो इसकी बात कर रहा है।)

प्र: मतलब, *वन्स शी डाइस, शी डाइस*। (मतलब एक बार वह मर जाती है तो मर जाती है।)

आचार्य: वन्स शी डाइस, हैस शी डाइड? राइट नाउ, हूम एम आई टौकिंग टू? इज डेथ ए फैक्ट फॉर हर? (एक बार वह मर गई तो क्या वह मर गई? ठीक अभी मैं किससे बात कर रहा हूँ? क्या मृत्यु उसके लिए तथ्य है?)

प्र: नो (नहीं)।

आचार्य: ह्वट इज शी डूइंग देन (तो वो क्या कर रही है फिर)?

प्र: इमैजिनैशन (कल्पना)।

आचार्य: *राइट। आई एम टौकिंग टू सम्वन हू डज़ नॉट नो डेथ येट ईमैजिनिंग डेथ एण्ड सैइंग दैट वेन आई विल डाई देन दिस विल हैपन, दैट विल हैपन। बाइ ईमैजिनिंग डेथ यू आर ओन्ली गइविंग मोर एंड मोर वेट एंड क्रेडेन्स टु दिस वर्ल्ड*। (ठीक है। मैं किसी से बात कर रहा हूँ जो मृत्यु नहीं जानता लेकिन फिर भी मृत्यु की कल्पना करता है और कहता है कि जब मैं मर जाऊँगा तो यह होगा, वह होगा। मृत्यु की कल्पना करके आप सिर्फ़ संसार को ज़्यादा से ज़्यादा वजन और विश्वसनीयता दे रहे हैं।)

आप जिस डेथ (मृत्यु) की बात कर रहे हो न, शारीरिक मृत्यु की, वो इसको मार नहीं रही है, इसको बिलकुल ध्यान से समझिए, ज़रा-सा। आप अभी जिस डेथ की बात कर रहे हो वो इसको और गहरा कर रही है। आप बार-बार कह रहे हो मौत हो जाएगी, मौत हो जाएगी, किसकी मौत हो जाएगी? मेरी। और बार-बार मौत की बात करके आप किसका ख्याल और पुख्ता कर रहे हो? इसका, मेरा। और जब मन की मृत्यु होती है तो ये ग़ायब होता है। ये और पुख्ता नहीं होता।

वो लोग जो मौत की बहुत ज़्यादा बात करते हैं, वो असल में अपने अहंकार को और ज़्यादा जीवित कर रहे हैं। वो उसकी आयु और बढ़ाना चाह रहे हैं। जब कोई आपको धमकी दे रहा होता है, ‘मैं मरने जा रहा हूँ’, वो क्षण निरंकार का होता है या गहरे अहंकार का? अब बात समझ में आ रही है? क्या वो वाकई मरने में उत्सुक है? वो तो अहंकार को और जान देने में उत्सुक है न?

और आपने जो बोला कि हाउ डस इट मैटर। ऑब्वियसली, नथिंग मैटर्स बट नथिंग मैटर्स टू द वन हू नोज दैट दिस इस नथिंग। (यह कैसे मायने रखता है, निश्चित रूप से कुछ भी मायने नहीं रखता। लेकिन कुछ भी मायने उसके लिए नहीं रखता जो जानता है कि यह कुछ भी नहीं है।)

ये बुद्ध बोलते है न, ‘एनी को’, ए ड्रीम। जिसको ये दिख जाए कि ये ऐसा है, टू दैट फेलो नथिंग मैटर्स (उसके लिए कुछ भी मायने नहीं रखता)।

काश कि वैसा हो सके जब आप बोलोगे, इट डजन्ट मैटर (यह मायने नहीं रखता), पर हमारे लिए तो इट डीपली मैटर्स (यह बहुत मायने रखता है)। बबल्स, दैट्स अनदर ऑफ हिज पिक्चर्स, वन ऑफ हिज फैवरेट पिक्चर्स, इट्स ए बबल (बुलबुले। वह उनकी अलग तस्वीरों से है, उनके पसंदीदा तस्वीरों में से एक। यह एक बुलबुला है)। अष्टावक्र गीता ही बार-बार कहती है─ फेन, बुदबुदा, इन शब्दों का प्रयोग करती है। पर जिसको दिखा हो वो बात करे न, ये बुदबुदा समान है, फटेगा, अभी ख़त्म।

प्र: अच्छा, ये यूनिवर्सल या कॉस्मिक माइंड किस कारण, मतलब वहाँ पर कोई?

आचार्य: किसी के ऊपर आधारित या आरोपित किया जा सकता कि ये उसका है क्योंकि अपना ही है, किसी का नहीं है।

प्र: अपना मतलब रेफरेन्स चेंज हो रहा है *ओब्विअस्ली*। अपना इज नॉट दिस अपना। अपना इज सम अदर अपना।

आचार्य: उसका ही है, किसी का नहीं है। यूनिवर्सल माइंड का अर्थ है प्रकृति। यूनिवर्सल माइंड का अर्थ है चाँद, तारे। आपका मन और कहाँ से आता है? समुद्र से आता है आपका मन; चाँद से आता है; ग्रहों से आता है; ज़मीन से आता है; मिट्टी से आता है; हवा से आता है; मन और कहाँ से आता है?

तभी तो आप जब अपना जलवायु बदलते हो तो मन बदल जाता है। आपका मन कहाँ से आता है? मन इन्हीं सब खिड़कियों से तो आता है। और ये क्या देखती हैं? ये चाँद को देखती हैं, ये हवा को छूती हैं, मन इन्हीं से तो बनता है। तो जिसको आप यूनिवर्सल माइंड बोल रहे हो, प्रकृति है।

आपने एक फूल को देखा, उससे मन पर कुछ छाप पड़ गई। आपने एक जानवर को देखा, उससे मन बदल गया। आपने एक व्यक्ति की बातें सुनी है, उससे मन बदल गया। प्रकृति ही यूनिवर्सल माइंड है।

प्र: और उसके अंदर ये ऐट्रिब्यूट्स (गुण) हैं: जेलेसी (ईर्ष्या) के हैं, हेट्रेड (घृणा) के, लव (प्रेम) के?

आचार्य: येस (हाँ), ये सब हैं। असल में आप जिसको प्रकृति बोलते हो, वो दो चीज़ें होती हैं। एक तो जिसको आप ऑब्जेक्ट बोलोगे और दूसरा अहमवृत्ति। ऑब्जेक्टस , एग्ज़िस्टन्स में आते ही अहमवृत्ति के साथ है। आप जब भी कोई ऑब्जेक्ट देखते हो, उसको हमेशा आई एम के कॉन्टेक्स्ट में देखते हो। तो जहाँ अहमवृत्ति है, वहाँ ये सारी चीज़ें जो आपने बोली, ये अलग-अलग शब्द हैं, पर सब एक हैं। ये अहमवृत्ती है।

प्र: अहमवृत्ति?

आचार्य: अहमवृत्ति मतलब मैं हूँ। अहमवृत्ति मतलब जब आपका स्कीमा था, उसमें सब्जेक्ट ऑब्जेक्ट का जो लोवेस्ट पायदान है, वहाँ से अहमवृत्ति शुरू हो जाती है। तो अहमवृत्ति कह सकती है, ‘आइ एम सब्जेक्ट’ (मैं कर्ता हूँ) , उसके बाद अहमवृत्ति कह सकती हैं कि ‘आइ एम द विटनेस’ (मैं द्रष्टा हूँ)। उसके बाद अहमवृत्ति कह सकती है, ‘आइ एम जस्ट नथिंग’ (मैं कुछ भी नहीं हूँ)।

प्र: तो इंडीविजुअल माइंड का डाई (मृत्यु) करना मतलब अहमवृत्ति का विलुप्त होना?

आचार्य: इंडीविजुअल माइंड के डाई (मृत्यु) करना मतलब अहमवृत्ति का एक पायदान ऊपर चले जाना।

प्र: विलुप्त होना नहीं?

आचार्य: विलुप्त होना नहीं। अहमवृत्ति का अब ये कहने लगना─ पहले अहमवृत्ति कहती हैं कि मैं कौन हूँ? मैं शरीर हूँ’। फिर एक पायदान ऊपर चली जाएगी─ ‘मैं कौन हूँ? मैं साक्षी हूँ’। फिर एक पायदान और ऊपर जा सकती है। आख़िर में वो आप कह सकते हो कि उसका विलोप, विलुप्त हुई है।

प्र: मन का विलुप्त होना ज़रूरी है?

आचार्य: किसी के लिए नहीं है। सिर्फ़ मन के लिए है क्योंकि सफर (कष्ट झेलना) वही कर रहा है। किसी के लिए ज़रूरी नहीं, कुछ भी ज़रूरी नहीं है। सब कुछ बढ़िया है, कुछ भी ज़रूरी नहीं है। जो चल रहा है उसमें लेशमात्र बदलाव न हो तो भी कुछ नहीं होगा। *एवरीथिंग इज़ पर्फेक्ट राइट नाउ*। अभी यहाँ पर एक एटमबम गिर जाए, परफेक्ट कोई दिक्कत नहीं है। अस्तित्व को कोई दिक्कत नहीं है अगर ये पूरी समूची पृथ्वी इसी समय ख़त्म हो जाए। किसी को कोई दिक्कत नहीं है। दिक्कत आपको है।

तो बस जिसको दिक्कत है, चिकित्सा भी उसी की होगी। वरना किसी को क्या दिक्कत है? आप पूरे ख़त्म हो जाइए, क्या हो जाएगा? इतने आए, इतने गए, क्या हो गया? कुछ नहीं हो गया। हाँ, आपको दिक्कत हो तो बात करिए उसकी। कुछ भी ज़रूरी नहीं है। आप सफर करना (कष्ट झेलना) चाहते हैं, *मोस्ट वेलकम*। और दूसरों की सफरिंग को भी अपनी सफरिंग मत बना लीजिएगा।

मैं आईआईटी में था, एक दिन इवेंट था। पता नहीं क्या था, याद नहीं है मुझे, पर कुछ हुआ था। उसमें एक दो कुछ ऐसी घटनाएँ हुई थी जो टीचर के मन को अच्छी नहीं लगेगी। जब आप पढ़ाते हो तो कहीं-न-कहीं आपको फिर एक्सपेक्टेशन (उम्मीद) भी आने लग जाती है कि स्टूडेंट रेसीप्रोकेट करेगा। नहीं कर रहा था। तो शाम को ये थोड़ा उतरा हुआ चेहरा ले के था। तो इसको यही बोला कि जो हो जाए, चाहे पाँच बज जाए, उसके बाद तुम्हें ये देखना है कि इस सब के होने से मेरी जो एसेन्शियल पीस (आवश्यक शांति) है, वो तो नहीं ख़राब हो रही है। और अगर वो ख़राब हो रही है तो समझना कि मामला गड़बड़ है।

दिनभर कर लो जो करना है, तुम्हें स्टूडेंट्स को जो बाँटना है, बाँट दो। तुम्हें जिसके जितना उपचार करना है, जिसको जितनी दवाई देनी है, दे दो। पर फिर शाम को ये देखो कि डॉक्टर का क्या हुआ। मेरी अपनी एक से एक पहुँचे हुए धुरंधर हैं वो कुछ भी कर सकते। तो तुम क्या करोगे? शाम को रोओगे? क्या करोगे? तुम्हारी अपनी पीस (शांति) ख़त्म नहीं होनी चाहिए। कोई फ़र्क़ नहीं पड़ रहा है।

ये हमेशा याद रखना, कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। तुम कोई बहुत बड़ा क्रूसेड (धर्मयुद्ध) करने नहीं निकले हो। तुम कोइ बहुत, तुम कुछ नहीं बदल दोगे क्योंकि बदलने के लिए कुछ है ही नहीं *ईसेन्शियली*। जो है वो पूर्ण है उसमें क्या बदलोगे?

तो तुम जो कर रहे हो उसको पूरी जान लगा के करो पर ये भूलो मत कि *इट डजन्ट मैटर*। ठीक है, तुझे मरना ही है तो तुझे कौन रोक सकता है! अपना दिल मत तोड़ लेना। अपना दिल मत तोड़कर बैठ जाना कि यार, ये क्या हो गया! वो क्या हो गया। फिर तो बहुत उल्टा हो गया न? तुम माया को जीतने निकले थे, तुम कहने निकले थे कि दुनिया से सफरिंग हटे और तुम ख़ुद सफर करने लग गए, ये क्या बेवकूफ़ी है?

और तुम कहाँ तक ये सोचते रहोगे कि तुम जो कर रहे हो, उसके कुछ अपेक्षित परिणाम ही निकले? दुनिया तुम्हारी अपेक्षाओं से नहीं चलती है। उसके अपने नियम-क़ायदे हैं। पिछली बार शिवपुरी गए थे, लौटकर आए, दो भगे यहाँ से। इस बार शिवपुरी से लौटकर आए तो तीन भाग गए। मैं क्या करूँ, बैठकर रोऊँ कि जितनी बार ट्रिप करता हूँ, उतनी बार तीन निकल लेते हैं?

अरे, यार क्या फ़र्क़ पड़ता है? ये एक बहुत बड़ा तंत्र है जो अच्छे से जानता है उसे क्या करना है। वो अच्छे से जानता है कि जो हो रहा है वो ठीक ही हो रहा है, ऐसा ही होना चाहिए। डज़न्ट् मैटर (फ़र्क नहीं पड़त), ठीक है?

प्र: एक चीज़ होती है एकसेप्टेन्स , एक होती है *हेल्पलेसनेस*।

आचार्य: आई एम टॉकिंग ऑफ नाइदर ऑफ दीज़। आई एम टॉकिंग ऑफ डीप रियलाइजेशन, दैट्स इट। डजन्ट मैटर। देयर इज़ नथ्थिंग टु बी सीरियस अबाउट। आई डोंट नो इफ आई डिडन्ट कम्यूनिकेट इट─ यू विल बी गॉन। डोंट यू सी योर फोटो हैंगिंग हियर विथ नो फ्लावर्स एंड लॉट्स ऑफ फ्लाईस। यू आर गॉन, यू आर डेड। व्हाट आर यू सो सीरियस अबाउट? एंड इट्स हैपनिंग टुमोरो। (मैं इनमें किसी के बारे में बात नहीं कर रहा, मैं गहरी अनुभूति के बारे में बात कर रहा हूँ। यही है, मायने नहीं रखना। कुछ भी ऐसा नहीं है जिसके बारे में गंभीर हुआ जाए। मैं नहीं जानता यदि मैं इसके बारे में चर्चा न करता तो आप चले जाएँगे। आप अपनी फोटो नहीं देखते, जिसपर कोई फूल नहीं है लेकिन बहुत सारी मक्खियाँ हैं? आप चले गए हो, आपकी मृत्यु हो गई है। किस चीज़ के बारे में इतनी गंभीर हैं? अरे, आप कल नहीं होने वाला हैं।)

ह्वट इज इट यू सो सीरियस अबाउट? (वह क्या है जिसके बारे में आप इतने गंभीर हैं?) दिस बॉडी (यह शरीर) जिसपर आज एक यहाँ पर आपको मुँहासा हो जाएगा, कुछ हो जाएगा तो आप पाऊ-पाऊ करते हो, ह्वाट इज़ दैट यू आर सीरियस अबाउट? (वह क्या है जिसके बारे में आप गंभीर हैं?)

इतने बड़े-बड़े राजे महाराजे हुए हैं, जिनका उनके टाइम पर डंका बज रहा था। आज उनका नाम भी आप खोजो लाइब्रेरी में जाकर, नहीं मिलेगा। गूगल करो तो भी नहीं मिलेगा। इट डजन्ट मैटर, एग्ज़िस्टन्स इज कूल। इफ देयर इज़ वन वर्ड फॉर इट, इट्स कूल, चिल (मायने नहीं रखता। अस्तित्व मौज है अगर कोई एक शब्द इसके लिए है तो वह है — मौज)। उ

से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता तुम दस एटम बम गिरा दो। तुम पूरी पृथ्वी को नष्ट कर दो। अभी कहीं से एक ऐस्टरॉइड (क्षुद्र ग्रह) आए और मारे और पूरी पृथ्वी उड़ जाए, कोई फ़र्क नहीं पड़ता। कोई परमात्मा नहीं है जो आप की चीख-पुकार से व्यथित हो जाएगा ─ अरे, अरे, मेरे बच्चों को चोट लग रही है, चलो इनको मैं टिंक्चर लगा दूँ, डेटॉल लगा दूँ। कोई परमात्मा करुणामयी नहीं बैठा हुआ है। *जस्ट चिल*।

ठीक है, कोई परेशान है तो इंसानियत का तकाज़ा है; कोई परेशान है उसको कुछ दो-चार बातें बोल दी, मदद कर दी। अब उसके बाद अगर उसका बदा ही है मरना तो तुम क्या कर सकते हो? तुम भी उसके साथ कूद लोगे कि चल ठीक है, मर साले? और जब तुमने तय ही कर लिया है तो मैं तेरी सफरिंग जल्दी ख़त्म कर देता हूँ, लेट मी पुश यू ए लिटल , जा मर। क्या कर सकते हो?

प्र: मरने में कोई प्रॉब्लम थोड़े ही है।

आचार्य: अरे, मरने का अर्थ समझिए। मरने का अर्थ है सफरिंग में जाना। अब उसको और गहरी सफरिंग में जाना ही जाना है तो आप, यू कांट ऑल्टर द ऐक्ट ऑफ द टोटल, राइट? टोटल हैज़ इट्स ओन वेस, द कम्प्लीट हैस इट्स ओन मेकानिज़्म्स। इन्टेलिजेन्स ऑफ द टोटल इज़ फार बियॉन्ड योर लिमिटेड अन्डरस्टैन्डिंग (आप पूर्ण के कार्य को बदल नहीं सकते। ठीक है? उनके पास अपना आधार है, पूर्ण के पास अपना तंत्र हैं। उसकी चेतना आपकी सीमित समझ से परे है।)

वो कैसे ऑपरेट कर रहा है वो आप नहीं समझ सकते, उसको करने दो *ऑपरेट*। आप क्यों मन छोटा करते हो? ये हो जाएगा, वो हो जाएगा, मैं दूसरे को सफ्रिंग में डाल दूंगी, मैं ऐसा करूँगी। तुमको कुछ पता है तुम जिसको सोच रही हो कि सफरिंग में डाल दोगी, उसका भला हो रहा है कि बुरा हो रहा है?

डू यू रियली नो वॉट विल हैपन आउट ऑफ वॉट? यू मिस ए ट्रेन, व्हाट डू यू थिंक? समथिंग बैड हैस हैप्पेन्ड एंड ह्वाट हैस हैप्पेंड टू द ट्रेन? (क्या आप वास्तव में जानते हैं कैसे क्या होगा? आपकी एक ट्रेन छूट जाती है, आप क्या सोचते हैं? कुछ बुरा हो गया। और ट्रेन के लिए क्या हुआ?)

श्रोतागण: एक्सीडेंट (दुर्घटना)।

आचार्य: एक्सीडेंट। नाउ हाउ डू यू नो इट्स बैड? एंड हाउ डू यू नो इट्स गुड? (दुर्घटना। अब आप कैसे जानते हैं कि यह बुरा है? और आप कैसे जानते हैं कि यह अच्छा है?)

वो ट्रेन चली गई, उसके बाद आप जहाँ खड़े हो वहाँ भूकंप आ गया। *ह्वाइ अन-नेसेसरीली इन्टरवेन? द टोटल हैस इट्स ओन वेज़*। (क्यों बिना ज़रूरत के हस्तक्षेप करें? पूर्ण के पास अपने तरीके हैं)।

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