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लेख
शरीर का सही इस्तेमाल || नीम लड्डू
Author Acharya Prashant
आचार्य प्रशांत
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समय तुम्हें इसलिए दिया गया है ताकि समय से आगे जा सको। शरीर तुम्हें इसलिए दिया गया है ताकि शरीर से आगे जा सको। शरीर इसलिए नहीं दिया गया है कि शरीर ही को बचाए पड़े हो, “और दो-सौ साल जिएँगे!” जाते-जाते अपना थोड़ा सा अंश छोड़ गए कि, “इसकी क्लोनिंग कर देना, भाई!”

शरीर इसलिए दिया गया है ताकि शरीर को आहुति बना सको, शरीर को जला सको। गाड़ी में इंधन इसलिए नहीं होता कि उसको सूँघो, कि पियो, कि उसकी पूजा करो। गाड़ी में इंधन इसलिए होता है ताकि उचित मंज़िल पर पहुँचने के लिए उसको जला सको। शरीर को जलाना सीखो। शरीर इसलिए नहीं है कि उसको रक्षा ही दिए जा रहे हैं पेडीक्योर , *मैनीक्योर*। पाँव सख्त होने चाहिए। शरीर इसलिए नहीं मिला है कि उसे चमकाए ही जा रहे हैं। घाव खाने आने चाहिए।

शरीर में मज़बूती होनी चाहिए ताकी घाव खा सको। मज़बूत ही किए जा रहे हो और घाव खा नहीं रहे हो तो काहे के लिए मज़बूत कर रहे हो! तुम्हारा शरीर अगर घाव नहीं खा रहा है तो तुम्हें खा जाएगा।

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