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लेख
ग़लती तो इसमें मर्दों की ही है || नीम लड्डू
Author Acharya Prashant
आचार्य प्रशांत
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अगर कोई महिला ठीक-ठाक भी होती है तो उसको बिगाड़ने का काम उसका प्रेमी या उसका पति कर देता है। देखिए, महिला को सम्मान मिलना चाहिए उसके ज्ञान से, उसके गुणों से, उसकी आंतरिक शक्ति से। लेकिन आप जब उस महिला को महत्व देना शुरू कर देते हो इस वजह से कि उसका तन आकर्षक है और वो दिखने में बड़ी कामुक-कामिनी सी है, तो आपने उस महिला को ज़बरदस्ती ऐसा अधिकार दे दिया जिसकी वो पात्र नहीं थी, उसे मिलना नहीं चाहिए था।

लेकिन आज बहुत ज़्यादा ऐसा हो रहा है कि बहुत सारी महिलाओं को बहुत ज़्यादा सम्मान और प्रसिद्धि सिर्फ़ इस बात पर मिली जा रही है कि उन्होंने अपने तन को एक आकर्षक तरीके से सहेज कर रखा हुआ है, और वो अपने तन की नुमाइश लगाने को भी तैयार हैं।

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