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लेख
बोध और शान्ति पाए नहीं जाते
Author Acharya Prashant
आचार्य प्रशांत
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वक्ता: ये जो हो रहा है, ये जो बात कही जा रही है इसको पा कैसे सकते हैं? मैं फिर वापस जाऊँगा कि ये पाने की चीज़े नहीं हैं क्योंकि ये तुम्हें उपलब्ध ही हैं।तुम्हारी भाषा विपरीत हो गयी है।

आज तक की शिक्षा ने तुम्हारी पूरी भाषा को पलट कर रख दिया है।तुम हमेशा पाने की ही बात करते रहते हो। और पाने का अर्थ क्या है? किसी और से पा लेना।

तुम्हारी ये जो आँख है, ये पूरे तरीके से बाहर की और देख रही है कि पा लूं और पा लेने का अर्थ तुम्हारे लिए यही है कि कहीं और से पा लूँ।जो तुम्हारे पास है वो तो तुम नहीं पाओगे।जब भी तुम बात करते हो पाने की, तो तुम दूसरों की ओर देखना शुरू कर देते हो।

आज तक तुम्हारे पास जो भी है, तुमने पाया ही है।तो तुम्हें लगता है कि ये जो बात कही जा रही है -समझ, आनंद, निजता ये भी पायी जा सकती हैं।ये पाने की चीज़ नहीं है।जब तुम जान लेते हो कि जो तुमने पाया है उसकी सच्चाई क्या है, उसका सत्य क्या है, तब जो शेष बचता है उसको शांति कहते हैं।

उदाहरण देता हूँ, तुम्हीं लोगों के बीच से।जब तुम सब अपने अपने प्रश्न लिख रहे थे, पता नहीं तुमने गौर किया या नहीं, लेकिन यहाँ पर कितनी शांति थी।ठीक अभी इतनी शांति है कि किसी का जूता भी अभी अगर फर्श पर टकराए तो आवाज़ सुनाई आ जाती हैl

ये शांति कहाँ से आई? क्या ये पायी गयी है? नहीं ये पायी नहीं गयी है। ये इस बात का नतीज़ा है कि तुम अपने साथ हो, और ये पायी नहीं गयी है।और अभी अगर ये ध्यान टूटे, तो देखना कि कैसे ये शांति कैसे टूटती है।शांति एक समझदार जीवन के साथ आ ही जाती है।

जिस पल में ध्यान है, वो पल शांति का होगा ही होगा।तुम्हें पाने की जरुरत नहीं है।शांति तुम्हारा स्वभाव है।बैचेनी नतीजा है, अशांति नतीजा है बाहरी प्रभावों का। और जब तुम जान लेते हो कि ये बाहरी प्रभाव है, तो तुम शांत हो जाते हो।

ऐसे समझो कि एक शीशा है। उस पर धूल जमा हुआ है। और वो कहे कि अपनी चमक कहाँ से पाऊँ ? क्या उसको ये चमक कहीं से पानी है या सिर्फ धूल से मुक्ति चाहिए? क्या चमक वास्तव में खो गयी है? हाँ ! देखने में लगता है कि चमक खो गयी है। पर क्या वाकई उसकी चमक खो गयी है?

खो तो नहीं गयी, बस छुप गयी है।साल भर साल उस पर धूल पड़ती गयी है, तो उसका जो स्वभाव है वो खो गया है, छुप गया है।बस तुम्हें वो धुल साफ़ करनी है।स्पष्ट हो पा रही है बात?

श्रोता: जी सर।

वक्ता: ठीक है।

-‘संवाद’ पर आधारित। स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं।

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