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लेख
बदल डालो आज की रात || नीम लड्डू
Author Acharya Prashant
आचार्य प्रशांत
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कल की सुबह अलग हो सकती है अगर आप आज की रात बदल डालें। आज की रात तो बदलने में कोई रुचि दिखा नहीं रहे, कल की सुबह यूँही अलग कैसे हो जाएगी भाई? कैसे?

बिलकुल एक नया भविष्य आ सकता है अगर तुम वो ना रह गए हो जो तुम अतीत में थे, लेकिन अतीत के अपने व्यक्तित्व से इतना मोह है कि वो छोड़ा नहीं जा रहा, अतीत की आदतें नहीं छूट रही, अतीत के रवैये ( एटीट्यूडस ) छूट नहीं रहे। वही बातें, वही तौर-तरीके, वही ज़िद, वैसा ही मन जैसा अतीत में रहा है, तो बताओ भविष्य अलग कैसे होगा?

कल की सुबह अलग हो सकती है अगर आप आज की रात बदल डालें।

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