आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
लेख
अवसर अभी है || आचार्य प्रशांत, युवाओं के संग (2012)
Author Acharya Prashant
आचार्य प्रशांत
2 मिनट
33 बार पढ़ा गया

श्रोता: सर, कहा जाता है कि जो लोग सफल होते हैं वो अपने अवसर ख़ुद बनाते हैं! हम अपने अवसर ख़ुद कैसे बनायें?

वक्ता: बनाना क्यों है? है! अवसर अभी है!

और बनाओगे भी तो किस फैक्ट्री में बनाओगे जरा ये बताना? ये सारी बेकार की बातों पर क्यों ध्यान देते हो? यही तो अवसर है, अभी है, बनाना क्यों है? ये इतनी ही बेकार बात है कि मैं अपने आप को कैसे बनाऊँ? और बहुत लोग लगे हुए हैं ख़ुद को बनाने में। बनाना क्यों है? हो! बिकमिंग की जरूरत क्या है? बस गन्दगी लग गयी है तुम्हारे ऊपर, वो झाड़नी है; बनाना नहीं है। कुछ बनाने और सफाई करने में बड़ा अंतर है। शीशा तुम्हारे पास पहले से है पर उसपर गन्दगी जमा है तो गन्दगी हटाने की जरूरत है या शीशा बनाने की? गन्दगी हटाने और शीशा बनाने में ज़मीन आसमान का अंतर है। ये सब जो अभी हो रहा है- संवाद- वो गन्दगी हटाने की प्रक्रिया ही तो है। पर तुम अगर ये कहो कि मुझे खुद को बनाना है तो ये बड़ी उल्टी बात है। इसमें कुछ रखा नहीं है। अवसर अभी है, उसको ध्यान से देखो, पह्चानो। अवसर बनाने की कोशिश में तुम उसके प्रति अंधे हो जाते हो जो प्रस्तुत ही है। जीवन प्रतिपल एक नया अवसर है। तुम्हें नए अवसर बनाने नहीं हैं, बस इसी पल को समग्रता से जीना है।

आगे के अवसरों की बात छोडो, बस अभी जो है, उसमें पूरी तरह से, प्रेम से, डूब जाओ।

-‘संवाद’ पर आधारित। स्पष्टता हेतु कुछ अंश प्रक्षिप्त हैं।

क्या आपको आचार्य प्रशांत की शिक्षाओं से लाभ हुआ है?
आपके योगदान से ही यह मिशन आगे बढ़ेगा।
योगदान दें
सभी लेख देखें