आचार्य प्रशांत आपके बेहतर भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं
लेख
आँख खोल के देखो, दुनिया दूसरी हो जाएगी || आचार्य प्रशांत (2014)

आचार्य प्रशांत: कुंदन ने बात कही है एक कि अगर यह स्पष्ट ही दिखने लग जाए कि दुनिया कैसी है तो क्या इस दिखने के बाद दुनिया वैसी ही रह जाती है?

नहीं, बिलकुल भी नहीं!

क्योंकि दुनिया रूप और आकर से ज़्यादा नाम और धारणा है, एक बार आपकी आँखें साफ़ हो गईं, उसके बाद आप फूल को, जानवर को, वैसा ही नहीं देख पाएंगे जैसा आपने पहले देखा था, दुनिया बदल गई, कोई पदार्थ नहीं बदला, दुनिया फिर भी बदल गई, और यह आप किसी को प्रमाणित नहीं कर पाएंगे, पर दुनिया बदल गई।

देखो, कुंदन ने कहा कि खत्म होगी या रूपांतरित होगी।

रूपांतरण हमेशा पुराने के सन्दर्भ में होता है, रूपांतरण का अर्थ है कि पुराना कायम है, और उसमें कोई थोड़ा-सा बदलाव आ गया है, मैं फिर कह रहा हूँ दुनिया बदल गई तो मेरा अर्थ यही है कि पुराना पूर्णतया खत्म हो गया।

रूपांतरण नहीं हुआ है, खत्म हो गई, बदल गई।

इसी कारण से, हमारा यह जान पाना करीब-करीब असंभव है जब खुली हुई आँखों से दुनिया को देखा जाता है तो वो कैसी दिखती है।

क्योंकि वो रूपांतरित दुनिया नहीं होती है, रूपांतरित दुनिया की तो आप कल्पना कर लोगे वो आपकी मान्यताओं के आसपास की ही होती है, तो आप उसकी कल्पना कर लोगे, खुली आँखों से जब दुनिया देखी जाती है वो बिलकुल ही अलग होती है।

श्रोता: पुरानी तस्वीर तो हट गई, लेकिन तस्वीर तो अभी भी है…

आचार्य जी: तुम जिस भी तस्वीर की बात करोगे, वो पुरानी तस्वीर से संबंधित ही होगी, तुम जिसको नई भी बोल रहे हो, वो तस्वीर ही है न?

तो पुरानी से संबंधित ही होगी।

जब आँख खुलती है, तो तस्वीर कोई नहीं आती, बस यह समझलो कि पुराना सब हट जाता है। कोई नई तस्वीर नहीं आती है, पुराना साफ़ हो जाता है।

शब्द-योग सत्र से उद्धरण। स्पष्टता के लिए सम्पादित।

Have you benefited from Acharya Prashant's teachings?
Only through your contribution will this mission move forward.
Donate to spread the light
View All Articles