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Book Details
Language
hindi
Print Length
187
Description
जब भी कोई संत, अवतार, पैगम्बर बात करते हैं, तो वो व्यक्तियों की बात नहीं करते। वो उस स्रोत की बात करते हैं जो भिन्न-भिन्न रूपों में प्रकट होता आया है। उस निर्गुण की ओर इशारा करते हैं जो गुणों को धारण कर समस्त जगत का कल्याण करता आया है।
इसी संदर्भ में आचार्य प्रशांत संग श्रीकृष्ण पर हुए संवादों का संगठन इस किताब में एकत्रित किया गया है। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ श्लोक व श्रीकृष्ण के जीवन के उदाहरणों से हमारी जटिल जिज्ञासाओं का सरल व सीधा समाधान दिया है।
Index
1. कृष्ण को चुनने दो कि कृष्ण का संदेश कौन सुनेगा2. जगते में जागे नहीं सोते नहीं सोए, वही जाने कृष्ण को दूजा न कोय3. तीन मार्ग - ध्यानयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग4. ज्ञानमार्ग, भक्तिमार्ग और कर्ममार्ग – हमारे लिए कौन सा उचित है?5. तुम ही मीरा, तुम ही कृष्ण6. जन्माष्टमी कैसे मनाएँ
जब भी कोई संत, अवतार, पैगम्बर बात करते हैं, तो वो व्यक्तियों की बात नहीं करते। वो उस स्रोत की बात करते हैं जो भिन्न-भिन्न रूपों में प्रकट होता आया है। उस निर्गुण की ओर इशारा करते हैं जो गुणों को धारण कर समस्त जगत का कल्याण करता आया है।
इसी संदर्भ में आचार्य प्रशांत संग श्रीकृष्ण पर हुए संवादों का संगठन इस किताब में एकत्रित किया गया है। उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता के कुछ श्लोक व श्रीकृष्ण के जीवन के उदाहरणों से हमारी जटिल जिज्ञासाओं का सरल व सीधा समाधान दिया है।
Index
1. कृष्ण को चुनने दो कि कृष्ण का संदेश कौन सुनेगा2. जगते में जागे नहीं सोते नहीं सोए, वही जाने कृष्ण को दूजा न कोय3. तीन मार्ग - ध्यानयोग, कर्मयोग, ज्ञानयोग4. ज्ञानमार्ग, भक्तिमार्ग और कर्ममार्ग – हमारे लिए कौन सा उचित है?5. तुम ही मीरा, तुम ही कृष्ण6. जन्माष्टमी कैसे मनाएँ