Combo books @99/book! 60+ combos available. FREE DELIVERY! 😎🔥
AP Books
अहम् [नवीन प्रकाशन]
अधूरेपन से पूर्णता की ओर
badge
book
Already have eBook?
Login
eBook
Available Instantly
Suggested Contribution
₹51
₹150
Paperback
In Stock
76% Off
₹129
₹550
Now you can read eBook on our mobile app for the best reading experience View App
Quantity:
1
In stock
Free Delivery
Book Details
Language
hindi
Print Length
223
Description
व्यक्ति चाहे किसी भी धर्म, पंथ या समुदाय से हो, उम्र के किसी भी पड़ाव पर हो, और जीवन के किसी भी क्षेत्र से ताल्लुक़ रखता हो, एक बात जो हर व्यक्ति में साझी है वो यह है कि वह 'मैं' बोलता है। यह 'मैं' ही उसके जीवन का केन्द्र होता है और उसकी दुनिया इसी 'मैं' का विस्तार होती है। इसी 'मैं' को शास्त्रीय भाषा में 'अहम्' कहा जाता है। आचार्य प्रशांत की यह पुस्तक हमें बताती है कि अहम् एक अधूरापन है जो पूरेपन की तलाश में है। इसी तलाश में यह दुनिया से जुड़ता है, पर दुनिया में पूर्णता इसे मिलती नहीं क्योंकि अपूर्णता का ही नाम अहम् है। माने जब तक अहम् और अहम् की यह तलाश बची है तब तक अहम् की अपूर्णता बनी ही रहनी है। अहम् के मिटने में ही अहम् की पूर्णता है।‌ फिर आत्मा का उद्घाटन होता है, और एक गरिमापूर्ण जीवन की सम्भावना साकार हो पाती है। यह पुस्तक हर उस व्यक्ति के लिए आवश्यक है जिसके पास 'मैं' की अपनी कुछ अवधारणा है, जो इस 'मैं' की अस्तित्वगत बैचैनी को अनुभव करता है, जो अहम् को समझना चाहता है और अहम् को उसकी नियति — आत्मा — से एक कर देना चाहता है।
Index
1. अहंकार माने क्या? 2. अहम् वृत्ति क्या है? 3. प्रकृति और अहम् में सम्बन्ध क्या? 4. संसार का ही निर्माण है अहम् 5. अपना अहंकार मिटाने के लिए सभी के सामने झुक जाया करें? 6. त्याग और ग्रहण का अहंकार से सम्बन्ध
View all chapters
Have you benefited from Acharya Prashant's teachings?
Only through your contribution will this mission move forward.
Donate to spread the light