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लेख
भिड़ जाओ अपनी कमज़ोरियों से || नीम लड्डू
Author Acharya Prashant
आचार्य प्रशांत
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दुनिया के सामने इंसान की तरह खड़े होना सीखो भाई! केंचुए की तरह थोड़े ही कि किसी के भी पाँव के नीचे आ गए। इस चेहरे पर तेज होना चाहिए, आँखों में ताक़त झलकनी चाहिए, कुछ बोलो तो उसमें साहस और संकल्प हो, आवाज़ काँपे नहीं, थरथराए नहीं। एक ज़िंदगी है, इसको बेबसी में नहीं गुज़ारना है। जहाँ कहीं तुम्हें दिख रहा है कि झूठ है, दबाव है, भिड़ जाओ, ज़रा भी डरो नहीं। याद रहेगा?

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